कैसे गिरते है बाल ....
Dec 31, 2008
*स्त्रोत B.B.C.
सात फेरे सात कश्मे
Dec 30, 2008
हिंदू विवाह संस्कार के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर पति-पत्नी के रूप में एक साथ सुख से जीवन बिताने के लिए प्रण करते हैं और इसी प्रक्रिया में दोनों सात फेरे लेते हैं, जिसे सप्तपदी भी कहा जाता है। और यह सातों फेरे या पद सात वचन के साथ लिए जाते हैं. जिसमें पहला वचन होता है, पति-पत्नी को जीवन भर पर्याप्त और सम्मानित ढंग से भोजन मिलता रहे, दूसरा दोनों का जीवन शांतिपूर्ण और स्वस्थ ढंग से बीते, तीसरा दोनों अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक दायित्वों को निभा सकें, चौथा फेरा इस वचन के साथ लिया जाता है कि दोनों सौहार्द्र और परस्पर प्रेम के साथ जीवन बितायें, पाँचवे फेरे का वचन होता है विश्व का कल्याण हो और संतान कि प्राप्ति हो, छठे में प्रार्थना की जाती है कि सभी ऋतुएं अपने अपने ढंग से समुचित धनधान्य उत्पन्न करके दुनिया भर को सुख दें क्योंकि सभी के सुख में दंपत्ति का भी भला होता है और सातवें फेरे में पति-पत्नी परस्पर विश्वास, एकता, मतैक्य और शांति के साथ जीवन बिता सकें. इन सात फेरों के साथ लिए वचनों में अपने और विश्व की शांति और सुख की प्रार्थना की जाती है.
*स्त्रोत B.B.C.
नव वर्ष मंगलमय हो .....
इसी के साथ आप सभी को नववर्ष ही हार्दिक शुभकामनाये !!
नोयडा .....
Dec 28, 2008
नोएडा का पूरा नाम है न्यू ओखला इंडस्ट्रियल डिवेलपमेंट अथॉरिटी. इसकी स्थापना 19 अप्रैल 1976 को संजय गांधी ने की थी. पहले यह बुलंदशहर ज़िले में पड़ता था. फिर उसे ग़ाज़ियाबाद में शामिल किया गया. जब मायावती उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने उसे अलग ज़िला घोषित कर दिया. फिर मुलायम सिंह सरकार ने उसे ग़ाज़ियाबाद में शामिल कर दिया. लेकिन अब वह गौतम बुद्ध नगर नाम से अलग ज़िला है. नोएडा में कई बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कार्यालय हैं, शॉपिंग मॉल हैं, कार बनाने वाली कई कंपनियों की इकाइयाँ हैं, फ़िल्म सिटी है, प्रमुख समाचार टेलीविज़न चैनलों के कार्यालय हैं, कई बड़े अस्पताल हैं, उच्च शैक्षणिक संस्थाएं हैं और बहुत कुछ है.
आज बात "याहू" महाराज की
Dec 25, 2008
लालू जी की "घड़ी".....
Dec 24, 2008
रावरी देवी मर जाती हैं, और स्वर्ग में यमराज के पास पहुचती है।वहाँ देखती हैं एक दीवाल पर ढेर सारी घडियाँ टंगी हैं.
राबरी (यमराज से) :इस दीवाल पर इतनी सारी घडियाँ क्यों है?
यमराज : ये झूठी घडियाँ हैं,जो धरती पर झूठ बोलता हैं,ये सब उसके उसके नाम की घडियाँ हैं।जब भी कोई एक झूठ बोलता हैं,तो उसके नाम की घड़ी एक पॉइंट आगे बढ़ जाती है.
राबडी: (एक घड़ी की तरफ़ इशारा करके) ये वाली घड़ी किसकी है?यमराज: ये घड़ी गौतम बुध की हैं,उसने कभी एक भी झूठ नही बोला,इसलिए इस घड़ी का एक भी पॉइंट आगे नही बढ़ा है।
राबडी :(दूसरी घड़ी की तरफ़ इशारा करके) और ये वाली घड़ी किस की हैं?
यमराज : ये वाली घड़ी गांधी जी की हैं,उसने सिर्फ़ दो बार झूठ बोला था,इसलिए इस घड़ी का पॉइंट सिर्फ़ दो बार आगे बढ़ा है।
राबडी (आश्चर्य से यमराज से पूछती हैं) : अच्छा ,हमारे पति श्री लालू जी की कौन सी घड़ी है?यमराज:उनकी घड़ी मेरे ऑफिस में लगी हैं ,जो सीलिंग फैन का काम कर रही हैं.
कहानी "गूगल" महाराज की
गूगल सर्च इंजन को अंग्रेज़ी में लिखा जाता है google लेकिन असल में यह googol की ग़लत स्पैलिंग है. गूगल एक बहुत बड़ी संख्या है जिसमें 1 के आगे 100 शून्य लगते हैं. सन 1920 में अमरीका के एक गणितज्ञ ऐडवर्ड कैसनर, इस संख्या के लिए नाम तलाश कर रहे थे और जब उनके नौ वर्षीय भांजे मिल्टन ने गूगल नाम सुझाया तो उन्होंने उसे दर्ज करा लिया. कैसनर ने एक अन्य गणितज्ञ के साथ मिलकर एक किताब लिखी 'मैथमैटिक्स ऐंड द इमैजिनेशन' जिसमें पहली बार इस शब्द का ज़िक्र हुआ. लेकिन सर्च इंजन का नाम गूगल कैसे पडा इसकी अलग कहानी है. जनवरी 1996 में अमरीका के स्टैनफ़र्ड विश्वविद्यालय में लैरी पेज ने एक शोध शुरू किया. कुछ समय बाद सर्गी ब्रिन भी उनके साथ हो लिए. लैरी की परिकल्पना यह थी कि अगर एक ऐसा सर्च इंजन बनाया जाए जो विभिन्न वैबसाइटों के आपसी संबंध का विश्लेषण कर सके तो बेहतर परिणाम मिल सकेंगे. उन्होंने पहले इसका नाम रखा था बैकरब. लेकिन क्योंकि लैरी की गणित में बहुत रुचि थी इसलिए उन्होंने इस सर्च इंजन का नाम गूगल रख दिया.
सबसे बड़ी अभाज्य संख्या ....
Dec 22, 2008
जिसमें 13 लाख अंक हैं.
अभाज्य संख्याएँ अपने अलावा केवल एक से ही विभाजित होती हैं.
कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी के दल (यूसीएलए) ने लॉस एंजेलेस में ये नया नंबर 75 कंप्यूटरों को जोड़कर और अपनी अप्रयुक्त शक्ति को काम में लाकर हासिल किया.
ऐसा करके उन्होंने उस ज़बर्दस्त गणना को संपादित किया जो कि इस नए नंबर को हासिल करने और सत्यापित करने के लिए आवश्यक थी.
17वीं शताब्दी के फ़्राँसीसी गणितिज्ञ मैरीन मरज़ेन ने सबसे बड़ी अभाज्य संख्या ‘मरज़ेन’ खोजी थी. दुनिया में हज़ारों लोग अपने कंप्यूटरों को आपस में लिंक करके इससे भी बड़ी अभाज्य संख्या को खोजने में जुटे है.
मरज़ेन अभाज्य संख्या "दो की घात पी माईनस वन" के फ़ार्मूले से व्यक्त की जाती है, इसमें पी को अभाज्य संख्या रखा जाता है.
Dec 11, 2008
* वेबसाईट पर फॉर्म डालने के लिए आप http://freedback.com की मदद ले सकते है
* इम्बेडिड फॉण्ट डालने के लिए आपको http://www.truedoc.com पर अच्छीखासी जानकारी मिल जायेगी
*अपने वेब पेज में नए पेज जोड़ने के लिए आपको पेज ट्रांसफर करने के लिए आपको एक फाइल ट्रांसफर प्रोटोकाल (FTP) की जरूरत पड़ेगी जो आपको http://www.cuteftp.com पर फ्री मिल जाएगा उसे डाउनलोड कीजिये
*स्पेसल करेक्टारों की विस्तृत सूचि आपको http://www.w3.org/tr/ree.html40/sgml/entities.html पर मिल जायेगी
HTML टिप्स ...
Dec 10, 2008
कौन जीता कौन हारा?....
Dec 9, 2008
दो बचा ले गई मिजोरम की बात क्या करे, वहां तो भाजापा का कोई वजूद ही नही है बाकी ४ राज्यों में बाजी २-२ से बराबर रही मध्य-प्रदेश में भाजापा को देखिये , जिसे पप्पू कहा जा रहा थावह ही दिखा गया और राजस्थान में एक तो भाजपा अंतर्कलह की शिकार हुई दिखती है वैसे राजस्थान में भाजपा वाशुन्दारा राजे को नरेन्द्र मोदी की तरह देख रही थी जैसे मोदी ने विकास के बल पर अपने बूते पर जीता था लेकिन राजे और मोदी में काफी अन्तर है गुर्जर आन्दोलन का काफी प्रभाव पड़ा दिखाई दे रहा है दिल्ली में विकास ही जीता है शीला दिक्षित ने किसी को कोई मौका नही दिया सुघादिया के बाद उन्होंने कांग्रेस की तरफ़ लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त किया
Dec 3, 2008
बस एक ही उल्लू काफी था बर्बाद गुलिंस्ता करने को
यहाँ तो हर शाख पे उल्लू बैठा है, अंजाम गुलिंस्ता क्या होगा ???
सच्चाई छुप नही सकती, इन झूंठे उसूलों से
खुशबू आ नही सकती ,कागज के फूलों से
क्या हो गया है इन नेतायों को ? कौन सी बिमारी लग गई है ? इनके अन्दर क्या वो तो पता लग ही गया कोई एनएसजी कमांडो नेताजी आपकी आर्थिक मदद या झूंठी सांत्वना के लिए लड़ने नही गया था
और भी हथियार हैं हमारे पास......
Dec 1, 2008
मुम्बई में जो कुछ हुआ है वो सब एक श्रंखला ही हिस्सा है और अगर हम ऐसे ही सोते रहे तो आगे भी हो सकता है जब कोई धमाका होता है, हम कहते है कि हमे पता था और ये सब सीमापार से हो रहा है अरे जब तुम्हें पता ही कि सीमापार से सब होता है तो उसका कुछ इलाज़ क्यों नही करते कहने का मतलब यह नही कि बिना सोचे विचारे सैन्य कार्यवायी कर दी ,पहले हमारे पास जो दुसरे हथियार है उनका प्रयोग करे जैसे सिन्धु नदी जो कि हमारे देश से जाती है क्यों ना हम उसका भरपूर उपयोग करे, क्यों ना हम उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बिरादरी में नीचा दिखाए, क्यों ना हम उन्हें कूटनीति से मारे याद करो शीत युद्ध को कोई मिसयाले नही चली थी उसमे और एक तरह से अमेरिका ने रूस को जमीन में मिला दिया अरे भाई कुछ ना कुछ तो इनपुट देना ही है तभी तो आउटपुट मिलेगा और भी रास्ते है ,और हाँ पब्लिक में गाने कि जरूरत नही, अगर आप कुछ अच्छा करेगे तो सब पता चल जाएगा