किर्लियन फोटोग्राफी:
इसके माध्यम से कम से कम छः महीने पहले की किसी व्यक्ति को होने वाली बीमारी का पता लगाया जा सकता है |इतना ही नहीं, योग चिकित्सा आदि की सहायता से उस बीमारी के उभरने से पहले भी उसे जद से खत्म किया जा सकता है | इस तरह की फोटोग्राफी करने वाले कैमरे का अविष्कार रूस के वैज्ञानिक डा.विटेल्स रीच ने 1978 में किया था | यह कैमरा 'कोड इलेक्ट्रोन एमिशन टेक्निक' पर आधारित होता है | इसमें संवेदनशील फोटोग्राफी प्लेट का प्रयोग होता है| डा. रीच ने अपने इसी कैमरे की सहायता से पता लगाया था कि प्रत्येक जीवित प्राणी के शरीर से एक विशेष प्रकार की उर्जा निकलती है, जो शरीर का संचालन करती है| योगशास्त्र में भी माना गया है कि प्रत्येक व्यक्ति का एक आभामंडल होता है, जो उसके प्राणिक कोश से निकलने वाली उर्जा से निर्मित होता है और कोई भी रोग किसी प्राणी के शारीर से नहीं, बल्कि उसके प्राणिक कोश से प्रारंभ होता है| चूँकि कैमरे की सहायता से प्राणिक कोश से निकलने वाली उर्जा का भी चित्र लिया जा सकता है, इसीलिए भविष्य में होने वाले रोग के बारे में पहले से ही पता चल जाता है | सूक्ष्मदर्शी,दूरबीन,साधारण कैमरे या खुली आँखों से इस उर्जा को नहीं देखा जा सकता है |