हिंदू विवाह संस्कार के अंतर्गत वर-वधू अग्नि को साक्षी मानकर पति-पत्नी के रूप में एक साथ सुख से जीवन बिताने के लिए प्रण करते हैं और इसी प्रक्रिया में दोनों सात फेरे लेते हैं, जिसे सप्तपदी भी कहा जाता है। और यह सातों फेरे या पद सात वचन के साथ लिए जाते हैं. जिसमें पहला वचन होता है, पति-पत्नी को जीवन भर पर्याप्त और सम्मानित ढंग से भोजन मिलता रहे, दूसरा दोनों का जीवन शांतिपूर्ण और स्वस्थ ढंग से बीते, तीसरा दोनों अपने जीवन में आध्यात्मिक और धार्मिक दायित्वों को निभा सकें, चौथा फेरा इस वचन के साथ लिया जाता है कि दोनों सौहार्द्र और परस्पर प्रेम के साथ जीवन बितायें, पाँचवे फेरे का वचन होता है विश्व का कल्याण हो और संतान कि प्राप्ति हो, छठे में प्रार्थना की जाती है कि सभी ऋतुएं अपने अपने ढंग से समुचित धनधान्य उत्पन्न करके दुनिया भर को सुख दें क्योंकि सभी के सुख में दंपत्ति का भी भला होता है और सातवें फेरे में पति-पत्नी परस्पर विश्वास, एकता, मतैक्य और शांति के साथ जीवन बिता सकें. इन सात फेरों के साथ लिए वचनों में अपने और विश्व की शांति और सुख की प्रार्थना की जाती है.
*स्त्रोत B.B.C.
5 comments:
भाई नटवर जी हमारे यहाँ तो सिर्फ़ चार ही फेरे लिए जाते है ! ऐसा क्यों है वो पता नही !
नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ!
नववर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ....
achchi jankari di hai aapne.wakai sat phere jivan main bahut mahatwa rakhte hai.
wish you a very happy new year.
नव वर्ष की आप और आपके समस्त परिवार को शुभकामनाएं....
नीरज
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