आखिरकार सरकार को मानना पड़ा की गंगा को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कराने की जरूरत है और उसने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करके इसदिशा में पहला कदम बढ़ा भी दिया हैलेकिन हम लोगों को पता होना चाहिए कि गंगा कि इस दशा का क्या कारण है? आज गंगोत्री से नरौरा तक गंगाजी को कई स्थानों पर बाँध दिया गया है जिसके कारण हिमालय का पवित्र जल कई स्थानों पर ठहर कर सड़ रहा है और जो जल दिखाई दे रहा है, उसमे अनेक तटवर्ती शहरों का मलमूत्र , चमडा इकाइयों का बहाया हुआ अपशिष्ट है
जल जब धरती से हटाकर सीमेंटों से बनी सतहों से गुजारा जाता है तो उसकी गुणवत्ता समाप्त हो जाती है यदि नदी वेग से प्रवाहित होती है तो जल के अनेक दोष स्वतः ही दूर हो जाते है नदी का तात्पर्य ही है, बहने वाली जलधारा
कुछ दिनों पूर्व तक माना जाता था कि मैदानी क्षेत्रो में ही गंगा प्रदूषित है परन्तु अब देखा गया है कि बद्रिकाश्रम और गंगोत्री आदि उदगम स्थलों से ही इसमे प्रदुषण आरम्भ है, हृषिकेश और हरिद्वार में आकर यह प्रदुषण और भी बढ़ जाता हैहरिद्वार में गंगाजल सबसे निर्मल और पवित्र माना जाता था, लेकिन अब वहां पर भी जल आचमन के लायक भी नही रहा क्योकि वहां भी एक रासायनिक फेक्ट्री का अपशिष्ट गंगा जी में गिराया जाता है
गंगा घाटीमें रहने वाले लगभग ३५ करोड़ लोगों का स्वास्थय खतरे में है गंगा से सीधे आजीविका चलाने वाले पंडे,पुरोहितों , नौका -चालको ,गाइडो ,कि आजीविका खतरे में पड़ गयी है इन परिस्थितियों को देखकर यह अत्यन्त आवश्यक हो गया है कि गंगा को अविरल ,निर्मल बहने दिया जाए तथा जिन योजनायों से एन्समे बाधा पड़ रही है, उन्हें तत्काल रोका जाए
*इसमे कुछ विचार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भी शामिल है
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