Nov 29, 2008

जो कुछ हो रहा है , उसे देखते हुए लगता है कि इसमे किसी विदेशी ताकतों का हाथ जरूर है इतने बड़े पैमाने पर हमला तो लस्कर-ऐ -तोइबा या अल-कायदा ही कर सकता है और एक बात जिस तरह से विदेशी लोगो को ज्यादा शिकार बनाने कि कोशिश की गई उससे अल-कायदा के होने पर शक और बढ जाता है लेकिन आज तक उसके हमलों की शैली जो देखी गई है , उनसे इसमे भिन्नता दिखाई देती है वो ज्यादातर आत्मघाती विस्फोट ही करता है रही बात डेक्कन मुजाहिद्दीन की वो तो सिर्फ़ एक नाम है ऐसा कोई संगठन पहले नही सुना अगर है भी इतनी शक्ति नही हो सकती ,इसमे एक बड़े संगठन का नाम है जो इसे एक नया नाम दे रहा है इस सब में पाकिस्तान की भी अच्छी खासी भूमिका है कुछ देर तक गिलानी साहब आईएसआई प्रमुख "पाशा" को सहयोग के दिल्ली भेजने के लिए तैयार थे फिर अचानक क्या हो गया कि अब एक प्रितिनिध को भेजा जा रहा है मनमोहन सरकार को चाहिए कि वह ९/११ के बाद जो अमेरिका ने रणनीत अपनाई थी, उसे अपनाए और पाकिस्तान कि सीमा के अन्दर जो कुछ भी भारत विरोधी चल रहा है ,उनसे ख़ुद निपट ले

सुरक्षा में सूराख

Nov 28, 2008


आर्थिक राजधानी मुम्बई पर एक बार फिर से सुनियोजित तरीके से आतंकबादी हमले से साफ हो गया है कि हमारी आंतरिक सुरक्षा ठीक नही है आतंकबाद से निपटने कि हमारी नीति बिल्कुल ढुलमुल है देश में शख्त कानून का अभाव है पुलिस व्यवस्था जर्जर हो चुकी है, इसका राजनीतिकरण हो चुका है ये सब परिस्थितियों के बाबजूद सरकार आँखें मूंदे हुए है आज यहाँ एक अजीब सा माहौल है अरे इनकी निडरता तो देखिये सरेआम विस्फोट करके , फायरिंग भी कर रहे है क्योंकि उन्हें पता है , कि पकडे जाने पर भी उनका कुछ नही होगा कोई न कोई "अमरसिंह" या "मानवाधिकार संस्था " मिल ही जायेगी यही वजह है कि आतंकवादी भारत को सॉफ्ट कार्नर मानते है इस सब के लिए हमारे नेता ही जिम्मेदार है हम लोग पश्चिमी देशो की चव्वनीछाप चीजो की नक़ल करने में तो बहुत आगे रहते है लेकिन उनके यहाँ की सुरक्षा व्यवस्था की नक़ल कभी नही की क्यों वहां ७ जुलाई के बाद दूसरा हमला नही हुआ ?...........

Nov 22, 2008

क्या आपको पता है कि हजारों मील ऊपर बैठकर कोई आपकी हर एक हरकत पर नज़र रखे हुए है आपके घर के बाहर का पेड़, आपकी गली, आपके पड़ोसी का घर, सब कुछ खुफिया कैमरों की नज़रों में है सैटेलाइट पर लगे कैमरों के जरिये जो तस्वीरें ली जाती है वो आप भी देख सकते हैतथा इन तस्वीरों के माध्यम से आप अपना घर, खेत,कंपनी, स्कूल सब कुछ देख सकते है इतना ही उस नक्शे पर अपना नाम भी लिख सकते है जरूरत है एक वेब पोर्टल पर जाने कीइस पोर्टल के सर्च बॉक्स पर अपने शहर का नाम लिखे और मार दे इंटर और हाँ गांव वालों को सबसे पहले अपने जिले या अपने पास किसी बड़े कस्बे का नाम डालना होगा अगर आपके गांव के किसी नेट प्रेमी ने यह सब पहले ही लिया है तो बस अपने गांव का नाम डाले नही तो पहले अपने जिले जाए, और पकड़ ले अपनी वाली सड़क.......................और चलते जाईये .........काफी दिलचस्प है ये......................तो देर किस बात की ट्राई करो .........पता है http://wikimapia.org

वाटर पोर्टल

Nov 21, 2008

आपके इलाके का पानी पिने योग्य है या नही तथा आपके क्षेत्र का भूजल स्तर कितना है, यह सब जानकारी अब एक वेब पोर्टल बताएगा और बो भी हिन्दी में जी हाँ ,इसमे आप पिछले १०० साल तक के मौसम सम्बन्धी आंकड़े भी ले सकते है, और तो और सीधे जानकर व्यक्तियों से सबाल भी पूंछ सकते हो अरे क्या सभी हम ही बता दे....... ट्राई करो ......पता है http://hindi.indiawaterportal.org/

टिकटघर

Nov 20, 2008

चुनावो में टिकटों की बिक्री नई बात नही हैहाल ही मार्गेट जी ने जो मुंह खोला है, उससे कोई आश्चर्य नही करना चाहिए, क्योंकि कोई भी जब तक मुंह नही खोलता जब तक की उसकी पार्टी में सुनी जाती रहे टिकट बिक्री की बिमारी से हर राजनीतिक पार्टी बीमार है मुलायम सिंह यादव तो पहले ही धनीव्यक्तियों को संसद पहुचाने को
सही बता चुके है वैसे इस मामले बसपा को सबसे आगे मान सकते है खैर बचा कोई नही है, सभी के हाथ कीचड में सने है
टिकट वितरण की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की जरूरत हैक्योंकि फिलहाल की व्यवस्था के अनुशार चुनाव आयोग भी पार्टी की आंतरिक मामले में दखंदाजी नही कर सकता है राजनीत की इस बिमारी को दूर
करने में हमारा चुनाव आयोग अभी विल्कुल असमर्थ दिखाई दे रहा है, इसका एक मुख्य कारण
पार्टियों का सहयोग ना देना है लेकिन अंत में जिम्मेदारी हमारी ही तो है

Nov 14, 2008

हैं हेंडसम ,हैं जेमसन

हैं विन्सम,ही इज औसम

पप्पू की शर्ट इन स्टाईल है

पप्पू की जींस भी टाईट है

पप्पू के बाल भी कलर्ड है

पप्पू तो लगता मस्त है

कानों में उसके रिंग है

दोस्तों में वह किंग है

पर पप्पू वोट नही देता ........

पर पप्पू डजन्ट वोट............

चुनाव आयोग की ये पंक्तियाँ काफी कुछ कह रही है आज भारत सबसे युवा देश है युवा ही देश के कर्णधार है और लोकतंत्र में मताधिकार का प्रयोग करना सबसे बड़ा हथियार है

Nov 8, 2008

गंगाजल को देव जल कहा जाता है त्रिदेवों का स्पर्श होने से उसकी एक बूँद ही पवित्र कर देती है गंगाजल कभी अपवित्र नही होता,और न ही कभी ख़राब होता हैऐसा सनातन धर्मं के अनुयायियों की मान्यता हैलेकिन इस पक्ष में वैज्ञानिको के शोध क्या कहते है, इस बारे में कुछ प्रकाश डालते है
वैज्ञानिक शोध में पाया गया है, किगंगा में पाए गए जीवाणु इसके जल को शुद्ध रखते है वे नुकसानदायक जीवाणु को भी खत्म करते है गंगाजल में लौह तत्व की मात्रा भी अन्य नदियों की अपेक्षा ज्यादा पाई गई है

आईआईटी कानपुर के शोधार्थियों ने गंगा जी के किनारे से मिट्टी तथा रेत के सैम्पल लेकर कोर लैब में परिक्षण कराने पर ५ प्रकार के जीवणुओ को पायाजोकि गंगा के लिए फायेदेमंद हैपाइप के सहारे ५० फ़ुट नीचे से मिट्टी (कोर) तथा रेत के सेम्पलों का ल्युमनेसिंग डिस्टिग्स तकनीकी से टेस्ट करने पर, तापमान,मग्नेटिक,और मल्टीप्रोक्सी अप्रोच का परिक्षण करके पाया गया कि गंगा लगभग ३० हजार बर्षों से अविरल बह रही है तथा भविष्य कि आयु कि गणना के बारे शोध कार्य चल रहे है

हाँ अंत में एक बात और बताता चलूँ कि यू एन क्लामेट रिपोर्ट के अनुसार,३० बर्षों में गंगा के पानी में प्रदुषण कि मात्रा २८ फीसदी तक बढ जायेगी और गंगोत्री ग्लेशियर लगभग सन् २०३० इसबी में लुप्त प्रायहो जायेगा, और गंगा मानसून पर निर्भर हो जायेगी अतः अब हमे जल्दी ही जागना होगा

गंगा तेरा पानी अमृत

Nov 7, 2008

आखिरकार सरकार को मानना पड़ा की गंगा को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कराने की जरूरत है और उसने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करके इसदिशा में पहला कदम बढ़ा भी दिया हैलेकिन हम लोगों को पता होना चाहिए कि गंगा कि इस दशा का क्या कारण है? आज गंगोत्री से नरौरा तक गंगाजी को कई स्थानों पर बाँध दिया गया है जिसके कारण हिमालय का पवित्र जल कई स्थानों पर ठहर कर सड़ रहा है और जो जल दिखाई दे रहा है, उसमे अनेक तटवर्ती शहरों का मलमूत्र , चमडा इकाइयों का बहाया हुआ अपशिष्ट है

जल जब धरती से हटाकर सीमेंटों से बनी सतहों से गुजारा जाता है तो उसकी गुणवत्ता समाप्त हो जाती है यदि नदी वेग से प्रवाहित होती है तो जल के अनेक दोष स्वतः ही दूर हो जाते है नदी का तात्पर्य ही है, बहने वाली जलधारा

कुछ दिनों पूर्व तक माना जाता था कि मैदानी क्षेत्रो में ही गंगा प्रदूषित है परन्तु अब देखा गया है कि बद्रिकाश्रम और गंगोत्री आदि उदगम स्थलों से ही इसमे प्रदुषण आरम्भ है, हृषिकेश और हरिद्वार में आकर यह प्रदुषण और भी बढ़ जाता हैहरिद्वार में गंगाजल सबसे निर्मल और पवित्र माना जाता था, लेकिन अब वहां पर भी जल आचमन के लायक भी नही रहा क्योकि वहां भी एक रासायनिक फेक्ट्री का अपशिष्ट गंगा जी में गिराया जाता है

गंगा घाटीमें रहने वाले लगभग ३५ करोड़ लोगों का स्वास्थय खतरे में है गंगा से सीधे आजीविका चलाने वाले पंडे,पुरोहितों , नौका -चालको ,गाइडो ,कि आजीविका खतरे में पड़ गयी है इन परिस्थितियों को देखकर यह अत्यन्त आवश्यक हो गया है कि गंगा को अविरल ,निर्मल बहने दिया जाए तथा जिन योजनायों से एन्समे बाधा पड़ रही है, उन्हें तत्काल रोका जाए

*इसमे कुछ विचार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भी शामिल है

Nov 3, 2008

आज जो कुछ हो रहा है, वो देश के लिए कतई अच्छा नही हो रहा है अरे राज हकारे का तो दिमाग ख़राब हो गया है ,नही तो वह इतना भूल गया कि मराठों कि शान शिवाजी को उत्तर भारतीयों ने आंखों पे बिठा रखा था लेकिन राज ठाकरे में अकेले इतना दम कहाँ, उसके पीछे जरूर किसी का हाथ है, और वो हाथ जो हमेशा गरीब जनता के साथ होने का दाबा करता फिरता है अरे भाई अगर देश की बेरोजगारी हटाने के लिए आन्दोलन किया जाए तो मराठियों की समस्या तो स्वतः ही हल हो जायेगी हमें बिहार ही नही महाराष्ठ की भी सुननी है लालू जी खाई और ज्यादा बढाने से उसे पाटने के लिए मिट्टी ज्यादा डालनी पड़ेगी कांग्रेश को क्षेत्रबादमें ना पड़कर राष्ट्राबाद को आगे रखना होगा और अंत में समाजबादी पार्टी में कितने गुंडे है इसका पता कल और लग गया,अरे सार्वजनिक रूप से राज ठाकरे की सुपारी, जी हाँ पूरे १ करोर

Nov 1, 2008

कल..... मायावती सरकार ने उप्र में कछा एक से अंग्रेजी की पढाई चालू करके, सरकारी स्कूलों में कुछ नई जान फूकने का काम जरूर किया है लेकिन उन्हें स्कूलों की जमीनी हालत भी देखने होंगे जैसे टीचरों की संख्या, टीचरों की उपस्थिति ,स्कूल के पास मौजूद रिसोर्सेस वैसे आप लोगों को पता ही होगा की सरकारी स्कूलों की हालत के बारे में जनता में क्या राय बन चुकी है पहले लोगों के अन्दर से ये भावना निकालने की जरूरत है कि सरकारी स्कूलों में तो बच्चे अच्छे नम्बर ला ही नही सकतेइसके मायावती ही नही केन्द्र सरकार को भी अच्छे टीचर जुटाने के लिए भर्ती प्रकिया को पारदर्शी बनाना पड़ेगा क्यों आपका क्या कहना है ..... प्लीज़ बताये
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