Nov 29, 2008
सुरक्षा में सूराख
Nov 28, 2008
आर्थिक राजधानी मुम्बई पर एक बार फिर से सुनियोजित तरीके से आतंकबादी हमले से साफ हो गया है कि हमारी आंतरिक सुरक्षा ठीक नही है आतंकबाद से निपटने कि हमारी नीति बिल्कुल ढुलमुल है देश में शख्त कानून का अभाव है पुलिस व्यवस्था जर्जर हो चुकी है, इसका राजनीतिकरण हो चुका है ये सब परिस्थितियों के बाबजूद सरकार आँखें मूंदे हुए है आज यहाँ एक अजीब सा माहौल है अरे इनकी निडरता तो देखिये सरेआम विस्फोट करके , फायरिंग भी कर रहे है क्योंकि उन्हें पता है , कि पकडे जाने पर भी उनका कुछ नही होगा कोई न कोई "अमरसिंह" या "मानवाधिकार संस्था " मिल ही जायेगी यही वजह है कि आतंकवादी भारत को सॉफ्ट कार्नर मानते है इस सब के लिए हमारे नेता ही जिम्मेदार है हम लोग पश्चिमी देशो की चव्वनीछाप चीजो की नक़ल करने में तो बहुत आगे रहते है लेकिन उनके यहाँ की सुरक्षा व्यवस्था की नक़ल कभी नही की क्यों वहां ७ जुलाई के बाद दूसरा हमला नही हुआ ?...........
Nov 22, 2008
वाटर पोर्टल
Nov 21, 2008
टिकटघर
Nov 20, 2008
सही बता चुके है वैसे इस मामले बसपा को सबसे आगे मान सकते है खैर बचा कोई नही है, सभी के हाथ कीचड में सने है
टिकट वितरण की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की जरूरत हैक्योंकि फिलहाल की व्यवस्था के अनुशार चुनाव आयोग भी पार्टी की आंतरिक मामले में दखंदाजी नही कर सकता है राजनीत की इस बिमारी को दूर
करने में हमारा चुनाव आयोग अभी विल्कुल असमर्थ दिखाई दे रहा है, इसका एक मुख्य कारण
पार्टियों का सहयोग ना देना है लेकिन अंत में जिम्मेदारी हमारी ही तो है
Nov 14, 2008
हैं हेंडसम ,हैं जेमसन
हैं विन्सम,ही इज औसम
पप्पू की शर्ट इन स्टाईल है
पप्पू की जींस भी टाईट है
पप्पू के बाल भी कलर्ड है
पप्पू तो लगता मस्त है
कानों में उसके रिंग है
दोस्तों में वह किंग है
पर पप्पू वोट नही देता ........
पर पप्पू डजन्ट वोट............
चुनाव आयोग की ये पंक्तियाँ काफी कुछ कह रही है आज भारत सबसे युवा देश है युवा ही देश के कर्णधार है और लोकतंत्र में मताधिकार का प्रयोग करना सबसे बड़ा हथियार है
Nov 8, 2008
गंगाजल को देव जल कहा जाता है त्रिदेवों का स्पर्श होने से उसकी एक बूँद ही पवित्र कर देती है गंगाजल कभी अपवित्र नही होता,और न ही कभी ख़राब होता हैऐसा सनातन धर्मं के अनुयायियों की मान्यता हैलेकिन इस पक्ष में वैज्ञानिको के शोध क्या कहते है, इस बारे में कुछ प्रकाश डालते है
वैज्ञानिक शोध में पाया गया है, किगंगा में पाए गए जीवाणु इसके जल को शुद्ध रखते है वे नुकसानदायक जीवाणु को भी खत्म करते है गंगाजल में लौह तत्व की मात्रा भी अन्य नदियों की अपेक्षा ज्यादा पाई गई है
आईआईटी कानपुर के शोधार्थियों ने गंगा जी के किनारे से मिट्टी तथा रेत के सैम्पल लेकर कोर लैब में परिक्षण कराने पर ५ प्रकार के जीवणुओ को पायाजोकि गंगा के लिए फायेदेमंद हैपाइप के सहारे ५० फ़ुट नीचे से मिट्टी (कोर) तथा रेत के सेम्पलों का ल्युमनेसिंग डिस्टिग्स तकनीकी से टेस्ट करने पर, तापमान,मग्नेटिक,और मल्टीप्रोक्सी अप्रोच का परिक्षण करके पाया गया कि गंगा लगभग ३० हजार बर्षों से अविरल बह रही है तथा भविष्य कि आयु कि गणना के बारे शोध कार्य चल रहे है
हाँ अंत में एक बात और बताता चलूँ कि यू एन क्लामेट रिपोर्ट के अनुसार,३० बर्षों में गंगा के पानी में प्रदुषण कि मात्रा २८ फीसदी तक बढ जायेगी और गंगोत्री ग्लेशियर लगभग सन् २०३० इसबी में लुप्त प्रायहो जायेगा, और गंगा मानसून पर निर्भर हो जायेगी अतः अब हमे जल्दी ही जागना होगा
गंगा तेरा पानी अमृत
Nov 7, 2008
आखिरकार सरकार को मानना पड़ा की गंगा को बचाने के लिए युद्ध स्तर पर काम कराने की जरूरत है और उसने गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करके इसदिशा में पहला कदम बढ़ा भी दिया हैलेकिन हम लोगों को पता होना चाहिए कि गंगा कि इस दशा का क्या कारण है? आज गंगोत्री से नरौरा तक गंगाजी को कई स्थानों पर बाँध दिया गया है जिसके कारण हिमालय का पवित्र जल कई स्थानों पर ठहर कर सड़ रहा है और जो जल दिखाई दे रहा है, उसमे अनेक तटवर्ती शहरों का मलमूत्र , चमडा इकाइयों का बहाया हुआ अपशिष्ट है
जल जब धरती से हटाकर सीमेंटों से बनी सतहों से गुजारा जाता है तो उसकी गुणवत्ता समाप्त हो जाती है यदि नदी वेग से प्रवाहित होती है तो जल के अनेक दोष स्वतः ही दूर हो जाते है नदी का तात्पर्य ही है, बहने वाली जलधारा
कुछ दिनों पूर्व तक माना जाता था कि मैदानी क्षेत्रो में ही गंगा प्रदूषित है परन्तु अब देखा गया है कि बद्रिकाश्रम और गंगोत्री आदि उदगम स्थलों से ही इसमे प्रदुषण आरम्भ है, हृषिकेश और हरिद्वार में आकर यह प्रदुषण और भी बढ़ जाता हैहरिद्वार में गंगाजल सबसे निर्मल और पवित्र माना जाता था, लेकिन अब वहां पर भी जल आचमन के लायक भी नही रहा क्योकि वहां भी एक रासायनिक फेक्ट्री का अपशिष्ट गंगा जी में गिराया जाता है
गंगा घाटीमें रहने वाले लगभग ३५ करोड़ लोगों का स्वास्थय खतरे में है गंगा से सीधे आजीविका चलाने वाले पंडे,पुरोहितों , नौका -चालको ,गाइडो ,कि आजीविका खतरे में पड़ गयी है इन परिस्थितियों को देखकर यह अत्यन्त आवश्यक हो गया है कि गंगा को अविरल ,निर्मल बहने दिया जाए तथा जिन योजनायों से एन्समे बाधा पड़ रही है, उन्हें तत्काल रोका जाए
*इसमे कुछ विचार स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के भी शामिल है